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Uttararddha (Hindi)
Ashok Kumar Mahapatra
₹340
₹400
(15% off)
ISBN 13
978818361799
Year
2016
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जीवन, जमीन और प्रकृति के अदभुत कवि है अशोक कुमार महापात्र ! अनुभूति की ऐसी सघन यात्रा के कवि कि संवेदना अपनी रिक्तता में भी मुखर हो उठती है ! संघर्ष और सपने अपनी सम्पूर्णता के लिए पूरी जिजीविषा के साथ अपनी क्रियात्मकता में घटित होते प्रतीत होते हैं ! अपने काव्य-वितान के लिए एक ऐसे विजन का कवि जिसके पास मनुष्य और उसकी पीड़ा को रचने के लिए हजारों रंग हैं ! 'उत्तरार्द्ध' जितना काल भीतर, उतना ही काल बाहर देखने और रचने का काव्य-कर्म है ! यथार्थ से टकराने में जिस तरह आस्था, उसी तरह स्मृतियाँ भी साथ, ताकि सैम के केंद्र में विषम के गाढ़ापन को गहरे जाना जा सके और मिथ्या मानने से इनकार किया जा सके ! कवि भूख को जब भूख की आँखों से देखता है, तब अपने आंतरिक ब्रह्माण्ड की गति का हिस्सा होता है, तभी तो 'माया-लोक' में ऋतुओं के 'छाया-लोक' को रच पाटा है ! भौतिकता में अपनी दृष्टि का तब एक और गहरा परिचय देता है कवि, जब जन और तंत्र के बीच शतरंज के गणित को हल करते ताल को आत्मसात करता है; और संबंधों को जीवन की आंच के साथ संजोता है ! तेजी से बदलती हुई इस दुनिया में पीढ़ियों का द्वन्द मनो म्नात साक्ष्य, लेकिन यह कवि की कुशलता ही है कि इसे भी एक नए रूप में रच लेता है ! रच लेता है जैसे-सृष्टि के सौन्दर्य के साथ प्रेम का बृहद आख्यान ! अपने बीते-अन्बीते को बार-बार देखने और देखे हुए को कला और उसकी गति में जीने का कविता-संग्रह है-'उत्तरार्द्ध'!