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Loktantra Ki Maya (Hindi)
Arvind Mohan
₹420
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ISBN 13
9789386231994
Year
2016
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मंडल, कमंडल और भूमंडलीकरण ने पिछले ढाई-तीन दशकों में मुल्क की राजनीति और समाज में तेज बदलाव किए हैं। ये बदलाव धनात्मक हैं और ऋणात्मक भी। इनसे शायद ही कोई अछूता बचा हो। राजनीति में पिछड़ों का निर्णयात्मक बढ़त लेना, दलितों और आदिवासियों का दमदार ढंग से उभरना, महिला शक्ति का अपनी उपस्थिति दर्ज कराना, हिंदी का बिना सरकारी समर्थन के उभरना, क्षेत्रीय राजनीति का सत्ता के विमर्श में प्रभावी होना जैसी अनेक प्रवृत्तियाँ अगर हमारे लोकतंत्र की ताकत को बढ़ाती हैं तो जाति, संप्रदाय, व्यक्तिवाद, परिवारवाद और राजनीति में धन तथा बाहुबल का जोर बढ़ना काफी नुकसान पहुँचा रहा है। इस दौर की राजनीति और समाज पर पैनी नजर रखनेवाले एक पत्रकार के आलेखों से बनी यह पुस्तक इन्हीं प्रवृत्तियों को समझने-समझाने के साथ इस बात को रेखांकित करती है कि इन सबमें जीत लोकतंत्र की हुई है और उसमें बाकी बुराइयों को स्वयं दूर करने की क्षमता भी है। अगर देश के सबसे कमजोर और पिछड़ी जमातों की आस्था लोकतंत्र में बढ़ी है तो यह सरकार बदलने से लेकर बाकी कमजोरियों को दूर करने के लिए आवश्यक ताकत और ऊर्जा भी जुटा लेगी।