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Keral Ke Hindi Sahitya Ka Itihas (Hindi)
Dr. P. Lata
₹723
₹850
(15% off)
ISBN 13
9789352211005
Year
2016
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केरल का प्रथम हिंदी रचनाकार महाराजा स्वातितिरुनाल रामवर्मा को माना जाता है जिनका जन्म तिरुवितांकूर के राजा मार्तंड वर्मा के राजवंश में 1813 ईसवी में हुआ था ! उनकी रचनाएँ मध्यकालीन हिंदी कवियों की तरह भक्ति-प्रधान गीत थे जिनका संकलन बाद में आकर किया गया ! इसके बाद लगातार इस अहिन्दीभाषी राज्य में हिंदी में मौलिक लेखन करनेवाले रचनाकार सक्रीय रहे हैं, न सिर्फ कविता में, बल्कि कहानी, उपन्यास, निबंध व् अन्यान्य विधाओं में भी ! केरल की रचनाकार और विद्वान पी. लता ने अपनी इस पुस्तक में केरल की समूची हिंदी रचनात्मकता का सर्वांगीण इतिहास प्रस्तुत किया है, साथ ही वे उस विचार-यात्रा को भी रेखांकित करती चली हैं जो केरलीय हिंदी लेखकों, कवियों की रचनाओं के सरोकारों की प्रेरणा-शक्ति और पृष्ठभूमि रही ! मौलिक साहित्य के साथ लेखक ने इसमें अनूदित साहित्य का भी क्रमबद्ध विवरण दिया है और साथ ही व्याकरण तथा कोष आदि विषयों पर हुए लेखन को भी समाहित किया है ! प्रकाशित पुस्तकों के अलावा उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं में छपी रचनाओं और साहित्य की भूमिका लेखन तथा सम्पादकीय लेखन जैसी शाखाओं को भी अपने विश्लेषण का आधार बनाया है और केरलीय हिंदी साहित्य के इतिहास में उनकी अवस्थिति को दर्ज किया है ! डॉ. पी. लता के प्रशंसनीय उद्यम से संभव हुई यह पुस्तक न सिर्फ छात्रों के लिए वरन उन हिंदी प्रेमियों के लिए भी अनिवार्यतः पठनीय है जो हिंदी चेतना के अखिल भारतीय विस्तार की संरचना तथा व्याप्ति को जानना चाहते हैं !