Kusum Ansal Ki Lokpriya Kahaniyan (Hindi)
Kusum Ansal
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?तूमुझे हमेशा पागल लगी थी, गुल। बिना आगे-पीछे सोचे, समीर के प्यार में इतना डूब गई कि शिमला के ?स्कैंडल प्वॉइंट? से बिना माँ-बाप को बताए भाग गई, तेरे माँ-बाप कितना विरोध करते रहे, पर तुझ पर तो किसी फिल्मी मुहब्बत जैसा जुनून सवार था, समीर क्या था, क्या है? तेरे मुकाबले में...आज भी क्या है? कुछ बन पाया क्या???
??प्रेम में आदमी पागल न हो तो वह प्रेम कैसा? विन्नी मैं तो जो भी करती हूँ, दिल के कहने पर ही करती हूँ, फिर मुझे हिसाब-किताब आता ही कहाँ है, जो समीर की हैसियत के जोड़-तोड़ निकालती...कन्वेंशनल शादी मेरे बस की बात नहीं थी, जो हेमा की तरह मैं भी पापा के ढूँढ़े हुए किसी अमीरजादे को सिर झुकाकर स्वीकार कर लेती।??
??हेमा कैसी है???
??ठीक है, माँ की छोड़ी कोठी में अड्डा जमाए बैठी है। समीर ने उस पर कोर्ट केस किया है। मैं भी तो बराबर की हकदार हूँ, वह कहता है। हेमा यहाँ आती है, बगीचा और यह टूटा-फूटा घर भी हथियाना चाहती है। उसे भी लगता है मुन्नूजी? साल बीत रहे हैं न!??
?इसी संग्रह से