यह पुस्तक विगत दशकों में मध्यमवर्ग, खासकर भारत के मध्यमवर्ग, के व्यवहार में आये परिवर्तनों की प्रक्रिया को जानने का प्रयास है। यह प्रयास मानव के तीन मौलिक आवश्यकताओंーरोटी, कपड़ा और मकान को ध्यान में रखकर इन्हीं के इर्द-गिर्द किया गया है। लेखक का पर्यवेक्षण, अभिव्यक्ति और कथन इन्हीं मुद्दों पर लोगों के व्यवहार को लेकर है, जो सारे लोगों को सब जगह प्रभावित कर रहा है और इसके बदले मानवीय मूल्य फिलहाल प्रतीक्षा सूची में चले गए हैं।